Shiv chaisa - An Overview
Shiv chaisa - An Overview
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सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
शिव पूजा में सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप, पुष्प, फूल माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के Shiv chaisa लिए रखें।
नमो नमो जय more info नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥